कुछ खास है कुमाऊं की दीपावली, ‘च्यूड़ा बग्वाल” के रूप में मनाई जाती थी परंपरागत दीपावली

कुमाऊं में दीपावली को पंच दीपोत्सव पर्व के रूप में मनाया जाता है।  मूलतः ‘च्यूड़ा बग्वाल” के रूप से मनाए जाने वाले इस त्योहार पर कुमाऊं में बड़ी-बूढ़ी महिलाएं नई पीढ़ी को सिर में नए धान से बने च्यूड़े रखकर आकाश की तरह ऊंचे और धरती की तरह चौड़े होने जैसी शुभाशीषें देती थीं। पहाड़ों के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में मनाई जाने वाली मार्गशीर्ष महीने की दीपावली की. जो कार्तिक माह की दीपावली के ठीक एक माह बाद अपने अलग ही अंदाज में मनाई जाती है. जिसे बग्वाल नाम से भी जाना जाता है

Execlusive Report by Chandra Shekhar Joshi Chief Editor: Himalayauk Newsportal & Print Media; Publish at Dehradun & Haridwar Mob. 9412932030

31 oct 21 कूर्मांचल परिषद देहरादून द्वारा आयोजित 3 दिवसीय मेले के तीसरे दिन 30 अक्टूबर को अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम कूर्मांचल भवन देहरादून में आयोजित किये गए, इस बार मेले का मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक झांकियों का आयोजन तथा पधान पधानी कार्यक्रम का आयोजन रहा, इस अवसर पर मुख्य अतिथि हरीश रावत पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में ऐपर्ण को सरकारी रूप से अनिवार्य कर दिया था, स्टालों में जाकर हरीश रावत ने कचौरी तली और लोगो को खिलाई,

Sh Dan S Rawat Chairman Uttrakhand Co Operative Bank

गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक दीपावली माने का कुछ अलग ही अंदाज है।  कुमाऊं में शरद पूर्णिमा (कोजागर) से दीप पर्व का श्रीगणेश हो जाता है। इसी शुभ दिन से आकाश दीप जलाने का विधान शुरू होता है जो एक माह तक लगातार प्रज्ज्वलित किया जाता है। दीपावली की श्रृंखला धनतेरस के दिन से शुरू होती है। इसी दिन से ऐपण की लोक विधा के जरिये गेरू (पवित्र लाल मिट्टी) की पुताई कर बिस्वार (चावल के आटे का लेप) से घर आंगन व मंदिरों में सजावट की जाती है। धनतेरस के दूसरे दिन छोटी दीपावली मनाने की परंपरा है। तीसरे दिन (इस बार रविवार) महालक्ष्मी पूजन की प्रात:काल से ही तैयारी शुरू हो जाती है। घर की बहुएं व बेटियां गन्ने के तीन तनों से मिलजुल कर मां लक्ष्मी की प्रतिमा निर्माण करती हैं। इसकी घर के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कर देर सायं शुभ मुहूर्त पर  विशेष पूजन कर प्रसाद बनाया जाता है।

sh Harish Rawat Ji Ex Cm

उन्होंने कूर्मांचल परिषद के कार्यक्रमों की सराहना की, कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि श्री विनोद चमोली ने कहा कि अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिये सराहनीय कार्यक्रम कूर्मांचल परिषद किये जा रहे है, कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि दान सिंह रॉवत चेयरमेंन उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नेशनल को ऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दीप प्रज्ज्वलन करते हुए कि कूर्मांचल परिषद द्वारा किये जा रहे ऐपर्ण , दीया, कुमायूँ वस्त्रों आदि कार्यक्रमो को रोजगारपरक योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिए, इस कार्य मे सहकारी बैंक पूरी मदद करेगा,

MLA SH VINOD CHAMOLI JI

कुमाऊं में दीपावली को पंच दीपोत्सव पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस बार इसकी शुरुआत त्रिपुष्कर योग में होगी। उत्साह व उमंग के पर्व की शुरुआत धन त्रयोदशी (धनतेरस) से होगी और भाई दूज तक चलेगा। पहले दिन कुबेर का पूजन के साथ होगी। अकाल मृत्यु भय से मुक्ति के लिए इस दिन यमराज को दीपदान किया जाता है।

MLA HARBANS KAPOOR JI

कुमाऊं में महालक्ष्मी पूजन के दिन खासतौर पर केले, दही व घी के मिश्रण से मालपुवे व पुवे बनाने का रिवाज है। साथ ही उड़द के बड़े, पुड़ियां, घर के चावल की खीर आदि का भी महालक्ष्मी को भोग लगाया जाता है। इसके बाद ही आतिशबाजी का दौर चलता है। महालक्ष्मी पर्व के दूसरे दिन गोसंरक्षण का संकल्प ले गोवर्द्धन पूजन की जाती है। अगले दिन भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विवाहित बेटियां मायके पहुंच भाइयों का च्यूणपूजन (करीब पांच दिनों से तांबे के बर्तन में भिगो कर रखे गए लाल पर्वतीय धान को ओखली में कूट कर तैयार च्यूणे) कर मंगल व सुखी जीवन की कामना करती है। महालक्ष्मी पूजन के 11वें दिन एकादशी को कुमाऊं में बूढ़ी दीपावली मनाने की परंपरा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री हरबंस कपूर ने कहा कि मेरी विधानसभा क्षेत्र में कूर्मांचल परिषद सराहनीय कार्य कर रही है, मैं भवन के लिये हर सम्भव मदद के लिये तैयार हूं, बीजेपी नेता आदित्य चौहान , योगेन्द्र पुंडीर तथा एडवोकेट ललित जोशी का भी कूर्मांचल परिषद ने भव्य स्वागत किया, सभी अतिथियों का स्वागत संरक्षक RS परिहार, अध्यक्ष कमल रजवार, कार्यक्रम सयोजक बविता साह लोहनी और हरीश सनवाल ने किया,

दो नवंबर को धनतेरस है। इस दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा होगी। सायंकाल यमराज को दीपदान किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य डा. नवीन जोशी बताते हैं कि पांच दीपक जलाने चाहिए। इस दिन खरीदे गई अक्षय फल देने वाली होती है। इस दिन सोने, चांदी, धातु, बर्तन व अन्य जरूरी सामग्री खरीदने की परंपरा रहती है।

परंपरा में इसे शारीरिक सज्जा और अलंकार का दिन भी माना गया है। इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में हल्दी, चंदन, सरसो का तेल मिलाकर उबटन तैयार कर शरीर पर लेप कर उससे स्नान किया जाता है। चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने माता अदिति के आभूषण चुराकर ले जाने वाले नरकासुर का वध किया था।

कार्य्रकम संचालन महासचिब चंद्रशेखर जोशी ने किया, ईस अवसर पर कांवली शाखा, प्रेम नगर शाखा, मॉजरा शाखा, धर्मपुर शाखा, हाथीबड़कला शाखा, काण्डली शाखा, नत्थनपुर शाखा, आर्केडिया शाखा, इंदिरा नगर शाखा के अध्यक्ष, सचिब समेत सभी पदाधिकारियों ने भाग लिया और महिला प्रतिभागियों ने सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए, जिसे देख कर लोग आनन्दित हो गए

दीपोत्सव का मुख्य पर्व दीपावली 4 नवंबर को है। जल, अन्न व सारे सुख देने वाली भगवती लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। कार्तिक अमावस्या का दिन अंधेरे की अनादि सत्ता को अंत में बदल देता है, जब छोटे-छोटे ज्योति-कलश दीप जगमगाने लगते हैं। प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी के साथ गणपति, सरस्वती, कुबेर व भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।

दीपावली के अगले दिन राजा बली पर भगवान विष्णु की विजय का उत्सव है। भगवान विष्णु ने वामन रूप धरकर तीन पदों में सारी सृष्टि को नाप लिया था। श्रीकृष्ण ने इसी दिन देवेंद्र के मानमर्दन के लिए गोवर्धन को धारण किया था। शहर में स्थान-स्थान जगह-जगह नवधान्य के बने हुए पर्वत शिखरों का भोग अन्नकूट प्रसाद के रूप में वितरित जाएगा। रामलीला मंदिर में कार्यक्रम होगा।

ज्ञात हो कि ललित जोशी निसहाय, अनाथ बच्चों को निशुल्क उच्च शिक्षा हेतु गोद लेने की घोषणा की, कूर्मांचल परिषद द्वारा 3 दिवसीय दीपावली मेला समारोह में ऐपर्ण कला कौशल का सफल प्रदर्शन किया गया, गेरू और विस्वार से ऐपण चित्रकला के बाद कूर्मांचल पधान पधानी प्रतियोगिता में आकर्षक परम्परा गत परिधानों से सुसज्जित पुरुष महिलाओ ने भाग लिया, पहली बार कूर्मांचल परिषद की सभी शाखाओं ने सांस्कृतिक झांकियो का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया, विभिन्न खाने के स्टॉलो में लोगो ने आनन्द लिया, दीया डेकोरेशन प्रतियोगिता मे महिलाओ ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया, लक्की ड्रा में बम्पर पुरूस्कार वितरण हुआ, दीया डेकोरेशन में तीसरा पुरुस्कार निहारिका शाह, लीला पयाल को द्वितीय, और कमला उप्रेती को प्रथम पुरस्कार दीया और गेरू विस्वार ऐपर्ण का परुस्कार मिला, रश्मि बोरा पहाड़ी व्यंजन में तीसरा, अनिता भंडारी द्वितीय, कविता बाफिला को प्रथम पुरस्कार पहाड़ी व्यंजन में मिलापधान पधानी आनन्दी चन्द प्रथम, रेवा द्वितीय,हेमाजोषी तृतीयपधान प्रथम ई0 प्रकाश लोशालीद्वितीय प0 चंद्रशेखर जोशीतृतीय गोपाल दत्त दुमका को तृतीय पुरुस्कार मिलाइस प्रतियोगिया के जज मेडम अलका पांडेय, भारती पांडेय, नीलम नील पांडेय, रहेपूर्व अध्यक्ष कांवली शाखा गोविंद पांडेय ने भरपूर सहयोग प्रदान किया, जिसे सभी लोगो ने सराहा

यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर पर भोजन करने के लिए आमंत्रित किया था। यही वजह है कि आज भी इस दिन समझदार लोग अपने घर मध्याह्न का भोजन नहीं करते। कल्याण और समृद्धि के भाई को इस दिन अपनी बहन के घर में ही स्नेहवश भोजन करना चाहिए। कुमाऊं में इस दिन बहनें अपने भाई को च्यूड़े पूजकर लंबी उम्र की कामना करती हैं।

इस अवसर पर आरएस परिहार, कमल रजवार, चंद्रशेखर जोशी, बबिता साह लोहनी, गोविंद पांडेय सोबन सिंह ठठोला, ई0 प्रकाश लोशाली, डॉ अनिल मिश्रा, डीके पांडेय, प0 चंद्रशेखर शास्त्री, उत्तम अधिकारी, एडवोकेट ललित जोशी, ललित चन्द जोशी सचिवालय, पुष्पा बिष्ट, सरोज पोखरियाल, पुष्पा अधिकारी, मंजु देउपा, लीला बिष्ट, हंसा धामी समेत सैकड़ो लोग उपस्थित थे

Yr. Contribution Deposit Here: HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND  Bank: SBI CA
30023706551 (IFS Code SBIN0003137) IFSC CODE: SBIN0003137 Br. Saharanpur Rd Ddun UK 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *