हरीश रावत और प्रदेश के तीन IAS पर केस दायर

#पूर्व कांग्रेस सरकार पर हाईकोर्ट में याचिका दायर #19 मई 2017 की तारीख मुकर्रर# पूर्व सीएम हरीश रावत, मुख्य सचिव एस रामास्वामी, औद्योगिक सचिव शैलेश बगोली और अपर सचिव विनय शंकर पांडेय के खिलाफ केस दायर कोर्ट ने जारी शासनादेश देहरादून से संबधित होने पर क्षेत्राधिकार का प्रश्न उठाया कोर्ट के आदेशों के बाद भी राज्य सरकार खनन को खोले जाने की मुहिम में जुटी#

मातृसदन ने खनन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश के तीन IAS पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोर्ट में केस दायर किया है। सभी पर षड्यंत्र रचकर शासनादेश में धोखाधड़ी, जालसाजी करने समेत कई आरोप लगाए गए हैं। सीजेएम कोर्ट ने दायर शिकायत को प्रकीर्ण मामले में दर्ज कर 19 मई 2017 की तारीख मुकर्रर की है। सीजेएम कोर्ट ने शिकायत की सुनवाई के बाद मामले को प्रकीर्ण केस में दर्ज कर लिया है। कोर्ट ने जारी शासनादेश देहरादून से संबधित होने पर क्षेत्राधिकार का प्रश्न उठाया है। वहीं, लोकसेवक के खिलाफ दायर मामले में शासन से अनुमति लेने के प्रावधान का जिक्र किया है।
जगजीतपुर कनखल स्थित मातृसदन स्वामी शिवानंद के शिष्य ब्रहमचारी दयानंद ने पूर्व सीएम हरीश रावत, मुख्य सचिव एस रामास्वामी, औद्योगिक सचिव शैलेश बगोली और अपर सचिव विनय शंकर पांडेय के खिलाफ केस दायर किया है। सोमवार को शिकायतकर्ता ब्रहमचारी दयानंद की ओर से अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने दायर शिकायत में बताया कि बीते वर्ष 15 नवंबर को तत्कालीन प्रदेश सरकार के कार्यकाल में खनन मामले को लेकर एक शासनादेश जारी किया गया था।
शासनादेश में रायवाला से भोगपुर तक गंगा में खनन खोलने का जिक्र किया था। यहीं नही, जारी शासनादेश में लिखा हुआ था, कि राज्यपाल सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते हैं। मातृसदन ने सूचना के अधिकार में राजभवन से जारी शासनादेश के संबंध में सूचना मांगी थी। इस पर राजभवन द्वारा उपलब्ध कराई कई सूचना में इस शासनादेश की जानकारी होने से साफ मना कर दिया था। शिकायतकर्ता के वकील अरुण भदौरिया ने बताया कि मुकर्रर तिथि 19 मई को इन्हीं कारणों पर सुनवाई होगी।
मातृसदन के अध्यक्ष शिवानंद सरस्वती ने कहा है कि कोर्ट के आदेशों के बाद भी राज्य सरकार खनन को खोले जाने की मुहिम में जुटी । इससे राज्य सरकार की मंशा का पता चलता है कि वह गंगा को लेकर कितनी संवेदनशील है। लेकिन मातृसदन अवैध खनन को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा। पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि सरकार खनन माफियाओं के एवं क्रेशर मालिकों के दबाव में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि गंगा से पांच किलोमीटर दूरी पर क्रेशर होने के आदेशों का भी पालन ठीक से नहीं किया जा रहा है। आश्रमों, धर्मशालाओं पर हटाये गये टैक्स पर बोले कि यह घोषणा भी नीतिगत होनी चाहिये। क्योंकि व्यावसयिक रूप से प्रयोग होने वाली धर्मशालाओं को इसका लाभ किसी भी रूप में नहीं मिलना चाहिये।
#########उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग को पूर्व कांग्रेस सरकार पर सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर चुनाव प्रभावित करने के मामले की सुनवाई कर इसे त्वरित निस्तारित करने के आदेश दिए हैं। रामनगर निवासी अरविंद कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर की है। इसमें कहा है कि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने निर्वाचन आयोग के नियमों का उल्लंघन किया है। याचिकर्ता का कहना था कि कांग्रेस सरकार ने सीएच नपच्याल सचिव परिवहन और आबकारी विभाग को सेवा विस्तार दिया था। उन्हें कांग्रेस सरकार को चुनाव में लाभ पहुंचाने के लिए वाहनों की सूची दी गई। इन वाहनों में चुनाव सामग्री के अलावा शराब, बेरोजगारों के आधारकार्ड और अन्य सामान बिना चेकिंग के इधर से उधर भेजा गया। वाहनों की सूची सचिव ने सभी सम्भागीय परिवहन अधिकारियों को भेजी, जिससे इन वाहनों की तलाशी नहीं हो सके। इसकी शिकायत याचिकर्ता ने राज्य और केंद्रीय निर्वाचन आयोग से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे क्षुब्ध होकर याचिकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
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