वास्तु अनुसार आपका किचन/रसोईघर

01 .– वास्तु और महिलाओं का सम्वन्ध- महिलाओं को हेल्थ प्रोब्लम्स रहती हैं… वास्तु दोष kitchen & ladies
02 .– जानिए वास्तु अनुसार आपका किचन/रसोईघर केसा और कहाँ हो ??
03 .— जानिए वास्तु अनुसार किस दिशा में हो रसोई/किचन—-

प्रिय पाठकों/मित्रों,
घर की स्वामिनी गृहणि होती है.. उसी को सारा दिन घर पर रहना होता है.. इसलिए घर की हर वस्तु का असर भी उसी पर ज्यादा पडता है… और खास तौर पर हमारे महानगरों में बनने वाले ज्यादातर मकान वास्तु के हिसाब से सही नही बनते…
कहीं फ्लोर के हिसाब से अपार्टमेंट बिकते हैं तो कहीं बहुमंजिला मकानों में वास्तु के हिसाब से अनदेखी की जाती है… और इस ज्यादातर अनदेखी का असर सबसे ज्यादा उस घर में रहने वाल गृहणियों पर ही पडता है…
आज के परिपेक्ष्य में ज्यादातर महिलाओं को हेल्थ प्रोब्लम्स रहती हैं… वास्तु दोष उस घर में रहने वालों को बीमारी और मानसिक क्लेश दोनो ही देता है…
इसका कारण ये कि वास्तु दोष होने से आपके घर में पॉजिटिव और नेगेटिव उर्जा के बीच में असंतुलन हो जाता है… दर्शकों अब हम आपको इसके कुछ उपाय भी बताते हैं जिससे महिलाओं का घर में जीवन सुखमय और निरोग हो सकेगा….
वास्तुशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो प्राकृतिक तत्वों पर आधारित है. इसमें सृष्टी निर्माण में भागीदार सभी पाँचों तत्वों ( जल, पानी, हवा, धरती और आकाश ) को ध्यान में रखा जाता है और संतुलन बनाने की कोशिश की जाती है। इसलिए जब भी किसी निर्माण की बात होती है तो उसमे वास्तु सिद्धांतों को अवश्य ध्यान में रखा जाता है।।
आजकल हर उम्र की महिलाओं का स्वास्थ्य चार-पांच दशक पहले की महिलाओं की तुलना में ज्यादा खराब रहने लगा है। रहन-सहन, खान-पान इत्यादि हर प्रकार की सावधानियां बरतने के बाद भी महिलाओं में रोग बढ़ते ही जा रहे है।
वास्तु का रोगों से अभिन्न संबंध है। मैंने अपने वास्तु परार्मश के दौरान पाया कि आजकल बनने वाले घरों की बनावट में बहुत ज्यादा वास्तुदोष होते है।
पिछले कुछ दशकों से आर्किटेक्ट मकानों को सुंदरता प्रदान करने के लिए अनियमित आकार के मकानों को महत्त्व देने लगे है। जिस कारण मकान बनाते समय जाने-अनजाने वास्तु सिद्धांतों की अवहेलना होती रहती है। चाहे महिला हो या पुरूष उनकी हर प्रकार की बीमारी में वास्तुदोष की भी अपनी एक महत्त्व भूमिका अवश्य रहती है।
वास्तुदोष के कारण घर में सकारात्क और नकारात्क ऊर्जा के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। जो महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके जीवन पर भी प्रभाव डालता है।
हमारे रहन सहन में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। कई बार हम सभी प्रकार की उपलब्धियों के बावजूद अपने रोजमर्रा की सामान्य जीवन शैली में दुखी और खिन्न रहते हैं।
वास्तु दोष मूलतः हमारे रहन सहन की प्रणाली से उत्पन्न होता है। प्राचीन काल में वास्तु शास्त्री ही मकान की बुनियाद रखने से पहले आमंत्रित किए जाते थे और उनकी सलाह पर ही घर के मुख्य द्वार रसोईघर, शयन कक्ष, अध्ययन शाला और पूजा गृह आदि का निर्णय लिया जाता था।
ज्यादातर महिलाएं ये नहीं जानती कि उनकी बीमारी या फिर परेशानी का उनके घर के वास्तु से कितना गहरा रिश्ता है…
आज हम आपको बताएंगे कि वास्तु के हिसाब से अपने घर की चीजों को हो व्यवस्थित करके आप किस तरह से बिना ज्यादा कुछ खर्च किए घर में सुख शांति और समृद्धि ला सकते हैं….
आइये जानते है ऐसे कौन से मुख्य वास्तु दोष है जो घर में ऊर्जा के असंतुलन पेड़ करते हैं और महिलाओं को परेशान करते है।
***** यदि किसी घर का आगे का भाग टूटा हुआ, प्लास्टर उखड़ा हुआ या सामने की दीवार में दरार, टूटी फूटी या किसी प्रकार से भी खराब हो रही हो उस घर की मालकिन का स्वास्थ्य खराब रहता है उसे मानसिक अशान्ति रहती है और हमेशा अप्रसन्न उदास रहती हैं।
**** यदि किसी घर का नैऋत्य कोण (SW), विशेषतौर पर दक्षिण नैऋत्य (South of the South West) किसी भी प्रकार से नीचा हो या वहां किसी भी प्रकार का भूमिगत पानी का टैंक, कुआ, बोरवेल, सैप्टिक टैंक इत्यादि हो तो वहां रहने वाली महिलाएं सदस्य अक्सर रोगों से पीडि़त रहेगी और उन्हें मृत्यु-भय बना रहेगा।
**** यदि किसी घर में उत्तर (North) और ईशान (North east) ऊँचा हो और बाकी सभी दिशाए व कोण पूर्व (East), आग्नेय (South east), दक्षिण (South), पश्चिम (West), नैऋत्य (South west) और वायव्य (North west) नीचे हो तो घर की स्त्री को लाईलाज बीमारी होती है और असामयिक मृत्यु की संभावना प्रबल हो जाती है।
**** यदि घर में उत्तर, ईशान और पूर्व से नैऋत्य और पश्चिम निचले हो तथा आग्नेय, दक्षिण और वायव्य ऊँचे हो तो जबरदस्त आर्थिक हानि होगी उस घर का मालिक कर्ज से परेशान होगा। उसकी पुत्री व पत्नी लम्बी बीमारियों से पीडि़त होगी।
**** जिस घर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्व की दिशा में होता है उन्हें सूर्य से प्रभावित घर कहते हैं। इनमें परिवार का मुखिया पुरुष होता है यानि पितृ सत्तात्मक परिवार इसमें निवास करता है। पुरुषों की संख्या अधिक होती है और महिलाएं कष्ट पाती हैं।
****यदि किसी भवन का उत्तर, ईशान और पूर्व से नैऋत्य, पश्चिम और वायव्य निचले, आग्नेय और दक्षिण ऊँचे होने पर उस घर के मालिक की पत्नी की या तो असामयिक मृत्यु हो जाएगी या वह लम्बी बीमारी से परेशान रहेगी। ऐसे बने घर में हमेशा बीमारी, कलह, शत्रुता बनी रहती है।
***** यदि किसी घर का आग्नेय नीचा हो, और आग्नेय और पूर्व के बीच में या आग्नेय और दक्षिण के बीच में कुओं, पानी का टैंक, सैप्टिक टैंक, बोरवेल या मोरियां बनायी जाएं तो घर के सदस्यों को दीर्घकालिन व्याधियां होंगी विशेषतौर पर घर के मालिक की पत्नी दीर्घ व्याधि से पीडि़त होगी।
*** यदि किसी घर का ईशान कोण, उत्तर ईशान दिशा की लम्बाई घटे और उत्तरी हद तक निर्माण किया गया हो तो घर की मालकिन रोग से ग्रस्त होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी अथवा आर्थिक कठिनाईयों से परेशान होकर कठिन जीवन व्यतीत करेगी।
**** यदि किसी घर के दक्षिण नैऋत्य भाग में (South of the South West) मार्ग प्रहार हो तो स्त्रियां उन्माद या अवसाद जैसे रोगों की शिकार होंगी। कहीं कहीं वे खुदकुशी भी कर सकती है।
****यदि किसी घर का दक्षिण नैऋत्य मार्गप्रहार से प्रभावित हो तो उस घर की महिलाएं भयंकर रोगों से परेशान होंगी। इसके साथ नैऋत्य में कुआं, बोरवेल, भूमिगत पानी की टंकी अर्थात् किसी भी प्रकार से नीचा हो तो वे आत्महत्या कर सकती है या लम्बी बीमारी से उनकी मृत्यु हो सकती है।
*****यदि किसी घर का दक्षिण नैऋत्य कोण बढ़ा हुआ हो उस घर की स्त्रियों को लम्बी बीमारियों या उनकी दर्दनाक मौत की संभावना बनती है।
****यदि किसी घर में उत्तर वायव्य में मार्ग प्रहार हो तो उस घर की स्त्रियां बीमार रहेगी। उत्तर वायव्य मार्ग प्रहार हो तो स्त्रियां न केवल बीमार होंगी, बल्कि घर वाले अनेक प्रकार के व्यसनों के शिकार होंगे।
****यदि किसी घर में पूर्व दिशा में मुखद्वार हो और उत्तर दिशा की हद तक निर्माण किया हो, दक्षिण में खाली स्थल हो तथा नैऋत्य अगे्रत हो, तो उस घर की स्त्रियां दुर्घटनाग्रस्त होंगी।
****यदि किसी घर के दक्षिण में घर का मुख्यद्वार हो और ईशान कोण तक भवन निर्माण किया गया हो दक्षिण दिशा खुली हो और वहां ढलाऊ बरामदा बनाया जाये तो ऐसे घर की मालकिन लाइलाज बीमारी से परेशान रहेगी। उस घर के बच्चे भी गलत रास्तों पर चलेंगे।
**** गर्भवती स्त्रियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थित कमरे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी अवस्था में पूर्वोत्तर दिशा या ईशान कोण में बेडरूम नहीं रखना चाहिए। इसके कारण गर्भाशय संबंधी समस्याएं
****** किसी भी घर की रसोई में गृहणी को अपने कुकिंग रेंज अथवा गैस स्टोव को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि खाना बनाते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे।
यदि खाना बनाते समय गृहिणी का मुख उत्तर दिशा में हो तो वह सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस एवं थायरॉइड से प्रभावित हो सकती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन बनाने से बचें। गृहिणी के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पडता है। इसी तरह पश्चिम दिशा में मुख करके खाना बनाने से आंख, नाक, कान एवं गले से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
****यदि किसी घर की रसोई नॉर्थ-ईस्ट यानी उत्तर-पूर्व में होगी, तो वहां भी सास-बहू के आपसी क्लेश, मनमुटाव और हमेशा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहेंगी। किचन कभी भी घर के सेंटर में ना हो, यह आपसी संबंधों के लिए बेहद घातक है।
**** ध्यान रखें,किसी भी घर के दक्षिण दिशा में अहाते का होना या खुला होना या सभी कमरों व बरामदों में दक्षिण का भाग नीचा हो तो उस घर की स्त्रियां सदैव रोगी रहती है, ऐसे घरों में अकाल मृत्यु की संभावना रहती है। परिवार में आर्थिक कष्ट रहता है।
****यदि किसी घर के आंगन से पानी दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण की ओर से बाहर बह जाता तो उस घर की स्त्रियों के स्वास्थ्य के लिए शुभ नहीं होता है।
*****किसी भी घर में गृहणी यह ध्यान रखें कि रात को सोते हुए बेड के बिलकुल पास मोबाइल, स्टेवलाइजर, कंप्यूटर या टीवी आदि न हो। अन्यथा इनसे निकलने वाली विद्युत-चुंबकीय तरंगें मस्तिष्क, रक्त एवं हृदय संबंधी रोगों का कारण बन सकती हैं।।
***** किसी भी गृहणी को अपने रसोईघर में में कभी भी मार्बल (संगमरमर) का फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और न ही मीरर जैसी कोई चीज होनी चाहिए, क्योंकि इससे स्वास्थ पर विपरित प्रभाव पड़ता है और घर में कलह की स्थिति बढ़ती है।
**** ध्यान रखे की आपके रसोई घर में गैस के ऊपर बने कैबिनेट काले ना हों। काले रंग से निकलनेवाली अल्फा रेडिएशन हेल्थ के लिए अच्छी नहीं होंती और चूंकि महिलाओं का ही अधिकतम समय किचन में बीतता है, इसलिए सबसे ज्यादा असर इन्हीं के स्वास्थ पर पडता है।
***** विशेष सावधानी रखें की अपनी रसोई में भूलकर भी नीला रंग ना कराएं यह स्वास्थ्य की नजर से ठीक नहीं है, क्योंकि नीला रंग जहर का चिह्न है।
****** आजकल मोबाईल रखना एक फैशन और जरुरत बन गया हैं किन्तु अपने मोबाइल को किचन में ना रखें, क्योंकि मोबाइल फोन में हजारों जर्म्स होते हैं, जो सेहत बिगाड़ सकते हैं।
****ध्यान रखें, कुछ घर इस तरह बने होते हैं की वहां रहने वाली महिलाएं अपने पति के लिए भाग्यशाली लक्ष्मी रूप होती हैं और उनके व्यवसाय में दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की होती जाती है। जिन घरों में स्टोर रूम का रास्ता बेडरूम से होकर जाता है। उस कमरे में सोने वाली महिलाएं भाग्यशाली होती है व अपने पति की तरक्की में सहायक होती है।
***** ध्यान रखें, पूर्व, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण दिशाएं हरे रंग के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। इसलिए बच्चों के कमरे और बैडरूम में ग्रीन कलर का यूज करने से अच्छी नींद आती है। इतना ही नहीं, ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है। साथ ही माइन्ड से सम्बन्धित बीमारियों से भी राहत मिलती है।यदि आप डिपे्रशन के शिकार हो रही हैं तो हरा रंग आपको इस समस्या से निजात दिला सकता है। दरअसल हरे रंग में से पॉजिटिव एनर्जीं निकलती है, जिससे दिमाग को रिलैक्स फील करता है। हरा रंग लकडी तत्व का प्रतीक है। इसलिए ऑफिस और घर में ज्यादा से ज्यादा लकडी के इंटीरियर प्रोडक्ट का यूज करना चाहिए। इससे घर वातावरण भी काफी कूल रहता है।
उपरोक्त वास्तुदोषों को किसी योग्य एवम् अनुभवी वस्तिविद् की सलाह द्वारा दूर कर महिलाओं को होने वाले रोगों से बचा जा सकता है।
ध्यान रहे वास्तुशास्त्र एक विज्ञान है। वास्तुदोष होने पर उनका निराकरण केवल वैज्ञानिक तरीके से ही करना चाहिए और उसका एकमात्र तरीका घर की बनावट में वास्तुनुकुल परिवर्तन कर वास्तुदोषों को दूर किया जा सकता हैं।।
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जानिए वास्तु अनुसार आपका किचन/रसोईघर केसा और कहाँ हो ??
आग्नेय मुखी भवन का निर्माण और वास्तुदोष का सीधा प्रभाव इसमें रहने वाली संतानों और महिलाओं पर पड़ता है।। जिस कारण इसके निर्माण में वास्तु का स्थान और महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। आग्नेय से तात्पर्य आग से होता है, इसलिए इसमें वास्तुदोष रह जाने से भयंकर परिणामों को झेलना पड सकता है।। वास्तुशास्त्र में माना जाता है कि आग्नेय मुखी भवन के प्रतिनिधि शुक्र ग्रह है किन्तु इसके स्वामी भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश है।।
घर का किचन/रसोईघर कैसा होना चाहिए, इस संबंध में हमारे रिपोर्टर ने प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री पंडित श्री दयानन्द शास्री जी से विस्तार से बातचीत की।
वास्तुशस्त्री श्री दयानन्द शास्त्री ने बताया, “रसोईघर यानी किचन, घर का एक सबसे अहम स्थान है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, यहां अग्निदेव, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी अन्नपूर्णा के रूप में निवास करती हैं।”
उहोंने बताया, “वास्तुशास्त्र की प्राचीन पुस्तकों में किचन को सुव्यवस्थित और लाभकारी बनाने के लिए काफी व्यवहारिक सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर सहज रूप रूप से घर की सुख, शान्ति और समृद्धि में अभिवृद्धि की जा सकती है।”
कई बार ऐसा देखा गया है कि घर में रसोईघर गृहिणी के अनुरूप बना हुआ है फिर भी रसोईघर में खाना बनाकर ही खुश नही होती है या खाना बनाने के बाद उसमे कोई बरकत नहीं होता है बल्कि घट जाता है । उसका मुख्य कारण है रसोईघर का वास्तु सम्मत नहीं होना अर्थात वास्तुदोष का होना।
आप सभी की जानकारी हेतु प्रस्तुत है, वास्तुशास्त्री पंडित श्री दयानन्द जी शास्त्री से हुई बातचीत पर आधारित किचन/रसोईघर से जुड़े कुछ चुने हुए वास्तु टिप्स, जो आज के आधुनिक संदर्भ में संकलित की गई हैं:—
—- कभी भी घर के मेन गेट के सामने नहीं बनाना चाहिए किचन।।
— भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर के मेन गेट के ठीक सामने किचन नहीं बनाना चाहिए। मेन गेट के एकदम सामने का किचन घर के सदस्यों के लिए अशुभ माना गया है।
— जिस घर में किचन और मंदिर आस पास होता है या किचन के अंदर ही
मंदिर होता है,वहां रहने वाले लोग गरम दिमाग के होते हैं। यह देखा गया है कि ऐसा होने पर परिवार के सदस्यों को रक्त-विकार या इससे जुड़ी कोई बीमारी हो जाती है।
— जिस घर में किचन मेन गेट से जुड़ा होता है, वहां अक्सर पति-पत्नी के बीच अकारण मतभेद बना रहता है या अकारण कलह होता है।
किचन और बाथरूम एक सीध में होता है अशुभ
— जिस भवन में किचन और बाथरूम (टॉयलेट) एक सीध में होते हैं, उस घर के लोगों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। कहा गया है कि खाना और पखाना कभी पास-पास नहीं होना चाहिए। यह भी माना गया है कि वैसे भवन में कन्याओं के जीवन में उथल-पुथल रहती है।
— जिस घर में किचन के अंदर ही स्टोर होता है, उस घर के गृहस्वामी को उनके नौकरी या अपने व्यापार में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
— किचन में अग्नि और पानी की व्यवस्था निश्चित स्थान पर होनी बहुत जरूरी है। यह सुव्यवस्थित नहीं होने पर घर के सदस्य तनाव में रहते हैं।
—–—घर की बैठक में भोजन बनाना या बैठक खाने के ठीक सामने किचन का होना अशुभ होता है। ऐसे में रिश्तेदारों के मध्य शत्रुता रहती है एवं बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाइयां आती हैं।।
— भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार यूं तो किसी को भी बिना स्नान किए किचन में प्रवेश नहीं करना चाहिए, लेकिन यह बात घर की गृहिणी/गृहलक्ष्मी (घर की स्वामिनी) पर सबसे अधिक लागू होती है। इसकी अवहेलना करने पर घर के सदस्यों में चिड़चिड़ापन और आलस बढ़ता है।
— यदि किचन पानी की टंकी या कुएं के साथ लगा हो, तो भाइयों में मतभेद होने की संभावना अधिक रहती है। गृहस्वामी को धन कमाने में परेशानियां होती हैं।
— किचन में भोजन बनाने का काम अग्नि से होता है इसलिए किचन के लिए सबसे उत्तम दिशा दक्षिण पूर्व यानी आग्नेय कोण माना गया है। इस दिशा में किचन होने पर घर की महिलाएं प्रसन्न और स्वस्थ रहती हैं। किचन के अंदर महिलाओं की हुकूमत चलती है। परिवार में आपसी तालमेल बढ़ता है।
वास्तु विज्ञान के अनुसार दक्षिण दिशा में किचन का होना शुभ नहीं होता है। यह यम की दिशा है। दक्षिण में किचन होने पर परिवार में छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव बना रहता है। घर के मालिक की सेहत में उतार-चढ़ाव बना रहता है। इनके क्रोध की वजह से परिवार में आपसी सामंजस्य में कमी आती है।
किचन की दिशा पश्चिम में होने पर घर की महिलाओं में आपसी तालमेल अच्छा रहता है। घर की मालकिन का पूरे घर पर प्रभाव होता है। बहू-बेटियों से इनके अच्छे संबंध होते हैं एवं इनसे भरपूर सहयोग मिलता है। लेकिन इस दिशा में किचन का बुरा प्रभाव यह होता है कि अन्न धन की बर्बादी होती है। इससे घर में बरकत नहीं आती है।
जिनके घर में किचन वायव्य कोण यानि उत्तर पश्चिम में होता है उस घर में पति-पत्नी के संबंध मधुर नहीं रहते। इसका कारण घर के मालिक का जरूरत से अधिक रोमांटिक होना होता है। घर के मालिक की कई महिला मित्र होती है। बेटियों के लिए भी यह दिशा अच्छी नहीं मानी जाती है। इससे बेटियों की बदनामी होती है।
किचन उत्तर दिशा में होना आय की दृष्टि से अच्छा रहता है। जिस घर में किचन उत्तर दिशा में होता है उस घर की महिला बुद्घिमान होती है। घर की मालकिन सभी से स्नेह रखती है। लेकिन परिवार की महिलाओं के बीच आपसी तालमेल की कमी रहती है।
उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में किचन होना दांपत्य सुख के लिए अनुकूल नहीं होता है। इस दिशा में किचन होने पर घर की महिलाएं धर्म-कर्म में अधिक रूचि रखने वाली होती है। दांपत्य एवं पारिवारिक विषयों के प्रति इनमें उदासीनता रहती है। इसका प्रभाव दांपत्य जीवन पर पड़ता है।
जिनके घर में किचन पूर्व में होता है उनके घर में धन का आगमन अच्छा रहता है लेकिन घर की पूरी कमान पत्नी के हाथ में होता है। बावजूद इसके पत्नी खुश नहीं रहती है, स्त्री रोग, पित्त रोग एवं नाड़ी संबंधी रोग का इन्हें सामना करना पड़ता है।
यदि आप चाहती हैं की आपके घर पर हमेशा महालक्ष्मी की कृपा बनी रहे निम्न सावधानी रखें तो भाग्य चमक जाएगा। साथ ही घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी। साथ ही आपके परिवार का स्वास्थ्य भी सही रहेगा, साथ ही शांति का निवास होगा। जानिए रात को सोने से पहले कौन से काम करना चाहिए।
**** जब भी रात को आप सोने जा रही हो तो उससे पहले किचन में पड़े हुए झूठे बर्तन धो लें और किचन को भी साफ कर लें। ऐसा करने से आपके घर पर हमेशा लक्ष्मी का वास होता है। जिससे आपके घर पर हमेसा वैभव, सम्पन्नता और शांति आती है।
**** आप जब भी सोने जा रही हो उससे पहले अपने घर की झाडू को दक्षिण-पश्चिम दिशा में छिपा कर रख दें। इससे आपको धन लाभ होगा।
****सूर्यास्त होने के बाद अगर कोई बाहर का व्यक्ति यानी की आपका पड़ोसी या फिर कोई और आपसे दूध अथवा दही मांगे तो उसे मना कर दें। क्योंकि इन चीजों के साथ घर की लक्ष्मी भी उसके साथ चली जाएगी।
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जानिए वास्तु अनुसार किस दिशा में हो रसोई/किचन—-
किसी भी घर/भवन में किचन (रसोईघर) अत्यन्त महत्वपूर्ण है। घर की गृहिणी का किचन से विशेष नाता रहता है। गृहणियां हमेशा इस बात का खयाल रखती हैं कि उनका किचन आग्नेय कोण में हो और यदि ऐसा नहीं हो तो किसी भी परेशानी का कारण किचन के वास्तुदोष पूर्ण होने को ही मान लिया जाता है, जो उचित नहीं है।
वेसे तो यह सही है कि घर के आग्नेय कोण में किचन का स्थान सर्वोत्तम है, पर यदि संभव हो तो उसे किसी अन्य स्थान पर बनाया जा सकता है।
**** आग्नेय कोण: —-किचन की यह स्थिति बहुत शुभ होती है । आग्नेय कोण में किचन होने पर घर की स्त्रियां खुश रहती हैं। घर में समस्त प्रकार के सुख रहते हैं।
****ईशान कोण (दिशा) मे रसोईघर —-
घर के ईशान कोण मे रसोईघर का होना शुभ नहीं है। रसोईघर की यह स्थिति घर के सदस्यों के लिए भी शुभ नहीं है। इस स्थान में रसोईघर होने से निम्नप्रकार कि समस्या आ सकती है यथा —
खाना बनाने में गृहिणी की रूचि नहीं होना, परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य खराब रहना, धन की हानि, वंश वृद्धि रूक जाना, कम लड़के का होना तथा मानसिक तनाव इत्यादि का सामना करना पड़ता है।
इस दिशा में रसोईघर बनाने से अपव्यय (बेवजह खर्च होना) एवं दुर्घटना होता है अतः भूलकर भी इस दिशा में रसोईघर नहीं बनवाना चाहिए।
***** उत्तर दिशा मे रसोईघर —–
उत्तर दिशा रसोई घर के लिए अशुभ है। इस स्थान का रसोईघर आर्थिक नुकसान देता है इसका मुख्य कारण है कि उत्तर दिशा धन का स्वामी कुबेर का स्थान है यहाँ रसोईघर होने से अग्नि धन को जलाने में समर्थ होती है इस कारण यहाँ रसोई घर नहीं बनवानी चाहिए। हां यदि गरीबी जीवन या सब कुछ होने हुए भी कुछ नहीं है का रोना रोना है तो आप रसोईघर बना सकते है।
***** वायव्य कोण मे रसोईघर (उत्तर-पश्चिम दिशा)—-
विकल्प के रूप में वायव्य कोण में रसोईघर का चयन किया जा सकता है। परन्तु अग्नि भय का डर बना रह सकता है। अतः सतर्क रहने की जरूरत है।
**** पश्चिम दिशा मे रसोईघर —-
पश्चिम दिशा में रसोईघर होने से आए दिन अकारण घर में क्लेश होती रहती है कई बार तो यह क्लेश तलाक का कारण भी बन जाता है। संतान पक्ष से भी परेशानी आती है।
***** नैर्ऋत्य कोण मे रसोईघर (दक्षिण-पश्चिम दिशा)—
इस दिशा में रसोईघर बहुत ही अशुभ फल देता है। नैऋत्य कोण में रसोईघर बनवाने से आर्थिक हानि तथा घर में छोटी-छोटी समस्या बढ़ जाती है। यही नहीं घर के कोई एक सदस्य या गृहिणी शारीरिक और मानसिक रोग के शिकार भी हो सकते है। दिवा स्वप्न बढ़ जाता है और इसके कारण गृह क्लेश और दुर्घटना की सम्भावना भी बढ़ जाती है।
***** दक्षिण दिशा मे रसोईघर —-
दक्षिण दिशा में रसोई घर बनाने से आर्थिक नुकसान हो सकता है। मन में हमेशा बेचैनी बानी रहेगी। कोई भी काम देर से होगा। मानसिक रूप से हमेशा परेशान रह सकते है।
***** आग्नेय कोण मे रसोईघर (दक्षिण-पूर्व दिशा )—
दक्षिण- पूर्व । आग्नेय कोण में रसोई घर बनाना सबसे अच्छा मान गया है। इस स्थान में रसोई होने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। घर के सदस्य स्वस्थ्य जीवन व्यतीत करते है।
*****पूर्व दिशा मे रसोईघर —–
पूर्व दिशा में किचन होना अच्छा नहीं है फिर भी विकल्प के रूप में इस दिशा में रसोई घर बनाया जा सकता है। इस दिशा में रसोई होने से पारिवारिक सदस्यों के मध्य स्वभाव में रूखापन आ जाता है। वही एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी बढ़ जाता है। वंश वृद्धि में भी समस्या आती हैं। जिस घर में पूर्व दिशा में किचन होता है, उसकी आय अच्छी होती है। घर की पूरी कमान पत्नी के पास होती है। पत्नी की खुशियों में कमी रहती है। साथ ही उसे पित्त गर्भाशय स्नायु तंत्र आदि से संबंधित तोग होने की सम्भावना रहती हैं।।
किचन से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां निम्नलिखित हैं, जिनका किचन बनाते समय ध्यान रखना चाहिए-
****( जिस घर में किचन के अंदर ही स्टोर हो तो गृहस्वामी को अपनी नौकरी या व्यापार में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन कठिनाइयों से बचाव के लिए किचन व स्टोर रूम अलग-अलग बनाने चाहिए।
***** किचन व बाथरूम का एक सीध में साथ-साथ होना शुभ नहीं होता है। ऐसे घर में रहने वालों को जीवन यापन करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। ऐसे घर की कन्याओं के जीवन में अशांति
ये कुछ सरल वास्तु टिप्स (उपाय) हैं, जिन्हें आजमा कर आप अपनी स्थित सुधार सकते हैं। यदि फिर भी स्थिति न सुधरे, तो किसी योग्य और अनुभवी वास्तु-सलाहकार को अपने घर, प्रतिष्ठान या कार्यालय में बुलाएं।

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